आयतुल्लाह मुत्तहरी एक संपूर्ण और बहुआयामी व्यक्तित्व थे

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाह नूरी हमदानी ने कहा,उस्ताद आयतुल्लाह मुत्तहरी एक अत्यंत संपूर्ण और विभिन्न विद्या क्षेत्रों में माहिर व्यक्ति थे। वे बौद्धिक, शैक्षणिक, क्रांतिकारी, लेखन तथा शिक्षण के पहलुओं में असाधारण क्षमताओं के धनी थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, प्रसिद्ध शिया धर्मगुरु आयतुल्लाह नूरी हमदानी ने शहीद आयतुल्लाह मुत्तहरी की शख्सियत के बारे में कहा,वह  बौद्धिक, शैक्षणिक, क्रांतिकारी, लेखन तथा शिक्षण के पहलुओं में असाधारण क्षमताओं के धनी थे।

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
الحمدلله رب العالمین والصلاة والسلام علی خیر خلقه و اشرف بریته سیدنا ونبینا أبی‌القاسم محمد وعلی اهل بیته الطیبین الطاهرین المعصومین، سیما بقیة الله الاعظم، ولعنة الله علی أعدائهم أجمعين.

शहीद आयतुल्लाह मुत्तहरी जैसी महान हस्ती पर बात करना आसान नहीं है वे एक संपूर्ण और विभिन्न बौद्धिक एवं व्यवहारिक क्षेत्रों में निपुण व्यक्ति थे।उनकी शख्सियत की व्यापकता बौद्धिक, वैज्ञानिक, क्रांतिकारी, लेखन और शिक्षण जैसे सभी पहलुओं में थी मैं उनके बारे में कुछ बिंदु साझा करना उचित समझता हूँ।

आयतुल्लाह मुतहरी चरित्र और व्यवहार के लिहाज़ से सच्चे इस्लामी नैतिक मूल्यों के प्रतीक थे और कभी भी अपनी "तलबगी" से दूर नहीं हुए।उन्होंने बहुत ऊँचा दर्जा हासिल किया लेकिन हमेशा नम्र और दुआ व तवस्सुल के पाबंद रहे।

जब मैं (आयतुल्लाह नूरी) साल 1943 में क़ुम आया, तो वे पहले से ही हौज़ा ए इल्मिया (धार्मिक शिक्षा संस्थान) के प्रमुख और प्रसिद्ध शिक्षकों में शामिल थे।

जब वे तेहरान चले गए, तब भी जब कभी क़ुम आते तो हमारे घर आते और हम उन्हें सेवा का अवसर देते।वे सोने से पहले क़ुरान की तिलावत करते और रात की नमाज़ (नमाज़े शब) के बहुत पाबंद थे। कभी-कभी देखा कि वे क़िबला की ओर जानमाज़ पर आधे या पूरे घंटे तक चुपचाप बैठे रहते थे।

मैंने एक दिन पूछा,आप नमाज़ से पहले इतना वक़्त जानमाज़ पर क्यों बिताते हैं?उन्होंने कहा, क्योंकि सबसे बेहतरीन इबादत तफक्कुर (गहरा चिंतन) है। पहले मैं विचार करता हूँ, फिर नमाज़ और अन्य इबादतें करता हूँ।

उनकी ज़िंदगी बहुत अनुशासित थी। उनके घर की लाइब्रेरी में एक बोर्ड टंगा था जिसमें उनके सारे कामों का समय लिखा होता और वे उसी के अनुसार काम करते।

क़ुम में उन्होंने आयतुल्लाह बुरुजुर्दी, इमाम खुमैनी, आयतुल्लाह दामाद और अल्लामा ताबातबाई जैसे महान उलेमा से लाभ उठाया।बाद में वे तेहरान गए जहां उन्होंने मरवी मदरसे और विश्वविद्यालय दोनों में अध्यापन किया।आख़िर में मैं इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के कुछ कथन साझा करना चाहता हूँ, जिन्हें मैंने नोट किया था।

आयतुल्लाह मुत्तहरी मेरे शरीर का टुकड़ा थे। मैंने उनकी तर्बियत के लिए बहुत मेहनत की थी। उनके लिए बिस्तर पर मरना अपमान से कम नहीं था। उन्होंने अपने ख़ून से इस्लाम और इंकलाब की बहुत सेवा की है।

इमाम ने लोगों को वसीयत की उनकी किताबों और विचारों को हमेशा फैलाते रहो।और फरमाया,मैं ज़ोर देकर कहता हूँ कि कोई भी व्यक्ति मुतहरी की तरह इंकलाब के विचारात्मक आधारों पर नहीं लिख सका। वाकई मुतहरी जैसा कलमकार इस्लामी इंकलाब को नहीं मिला।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha